8 करोड़ वोटर्स में कितने फर्जी? जानिए चुनाव आयोग के सामने खड़े सवाल
बिहार में निष्पक्ष चुनावों की नींव हिलती हुई दिख रही है। एक ओर जहां लोकतंत्र की मजबूती मतदाता सूची की शुद्धता पर निर्भर करती है, वहीं राज्य में 2003 के बाद से कोई व्यापक मतदाता सूची पुनरीक्षण नहीं हुआ। नतीजतन, फर्जी वोटर, डुप्लिकेट नाम, और मृत लोगों की मौजूदगी जैसे कई गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं।
बिहार में लगभग 8 करोड़ से अधिक मतदाता हैं। लेकिन हालिया रिपोर्टों के अनुसार, कई जिलों में आधार कार्ड धारकों की संख्या उनकी कुल जनसंख्या से अधिक पाई गई है, जो कि गहरी चिंता का विषय है।
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🛑 सीमांचल में बदली डेमोग्राफी, उठी राष्ट्रीय सुरक्षा की चिंता
राज्य के सीमावर्ती जिले जैसे किशनगंज, अररिया, कटिहार और पूर्णिया, अब सिर्फ प्रशासनिक चिंता का विषय नहीं रहे, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से भी संवेदनशील बन चुके हैं।
इन जिलों में अवैध प्रवासियों, खासकर बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिकों की घुसपैठ ने जनसंख्या संतुलन को पूरी तरह बदल डाला है।
यह क्षेत्र सिलीगुड़ी कॉरिडोर से जुड़ा है, जिसे “चिकन नेक” भी कहा जाता है — भारत को उत्तर-पूर्वी राज्यों से जोड़ने वाला एकमात्र रास्ता। यहां के जनसंख्या आंकड़े बताते हैं कि इस क्षेत्र में मुस्लिम आबादी 47% तक पहुंच चुकी है, जबकि पूरे बिहार में औसत मात्र 17% है।
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📉 फर्जी आधार और वोटर कार्ड: लोकतंत्र पर खतरा
कई जिलों में आधार कार्ड की संख्या 100% से अधिक पाई गई है — यानी कुछ जिलों में आबादी से ज्यादा आधार कार्ड जारी हुए हैं।
आशंका है कि इन कार्डों के जरिए गैर-नागरिकों ने वोटर लिस्ट में अपनी जगह बना ली है, जिससे देशविरोधी ताकतों को वोटिंग अधिकार मिल सकते हैं।
भारत में मतदान एक संवैधानिक अधिकार है जो सिर्फ भारतीय नागरिकों को मिलता है। लेकिन जब आधार कार्ड को निवास प्रमाण मानकर वोटर लिस्ट में नाम जोड़े जा रहे हों, तो निष्पक्षता कैसे सुनिश्चित होगी?
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⚖️ क्या विरोधियों की आपत्ति वाजिब है?
कुछ राजनीतिक दलों ने मतदाता सूची पुनरीक्षण की समयसीमा को लेकर चिंता जताई है। उनका कहना है कि इतने कम समय में इतने बड़े कार्य को अंजाम देना मुश्किल है।
हालांकि, चुनाव आयोग का कहना है कि वह अपनी सुव्यवस्थित मशीनरी से समय पर प्रक्रिया पूरी कर लेगा। इसके लिए 77,895 बीएलओ और अतिरिक्त 20,603 अधिकारियों को तैनात किया गया है।
इसके अलावा चार लाख स्वयंसेवक, एनसीसी कैडेट्स, और 1.5 लाख बूथ एजेंट भी प्रक्रिया में सहयोग कर रहे हैं।
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🚨 8-10 हजार फर्जी वोट प्रति विधानसभा क्षेत्र?
बिहार के कई विधानसभा क्षेत्रों से शिकायतें मिली हैं कि वहां 8,000 से 10,000 तक फर्जी या मृत लोगों के नाम मतदाता सूची में शामिल हैं।
कुछ जगहों पर जनसंख्या परिवर्तन इतना तेज हुआ है कि स्थानीय पहचान ही बदल गई है। यही वजह है कि अब व्यापक पुनरीक्षण की मांग और ज़रूरी हो गई है।
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