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अगर लोन लेने वाले की अचानक मौत हो जाए तो क्या होगा? जानिए बैंक कैसे वसूलता है बकाया

लोन लेने वाले की मौत के बाद क्या होता है? बैंक कैसे वसूलता है पैसा, कौन जिम्मेदार बनता है? पूरी जानकारी जानिए इस रिपोर्ट में!

 


आजकल घर, कार या अन्य ज़रूरतें पूरी करने के लिए लोन लेना लगभग हर परिवार की ज़िंदगी का हिस्सा बन चुका है। मगर सोचिए, अगर लोन लेने वाले व्यक्ति की अचानक मृत्यु हो जाए, तो बाकी बकाया लोन का क्या होता है? क्या परिवार पर ये कर्ज़ चुकाने की जिम्मेदारी आ जाती है? चलिए, आसान शब्दों में समझते हैं बैंकिंग नियमों के हिसाब से पूरा मामला।

✅ सबसे पहले किससे मांगता है बैंक?

कर्ज़दार की मृत्यु के बाद बैंक सबसे पहले को-एप्लिकेंट यानी उस व्यक्ति से संपर्क करता है, जिसका नाम उस लोन में भी जुड़ा होता है। ये अक्सर होम लोन, एजुकेशन लोन या किसी जॉइंट लोन में होता है। अगर को-एप्लिकेंट भी लोन चुकाने की स्थिति में नहीं है, तब बैंक की नजर गारंटर यानी गारंटी देने वाले व्यक्ति पर जाती है।

⚖️ गारंटर या कानूनी वारिस की भूमिका

अगर गारंटर भी रकम चुकाने में असमर्थ हो जाए, तो बैंक मृतक के कानूनी उत्तराधिकारी – जैसे पत्नी, बच्चे या माता‑पिता – से बकाया वसूली की कोशिश करता है। अगर वारिस ने मृतक की संपत्ति उत्तराधिकार में ली है, तब बैंक के पास कानूनी तौर पर उनसे वसूली का हक होता है।

🏠🚗 बैंक संपत्ति कब सीज करता है?

जब को‑एप्लिकेंट, गारंटर और कानूनी वारिस – कोई भी रकम चुकाने में नाकाम रहता है, तो बैंक मृतक की संपत्ति को सीज (जब्त) कर उसे बेच सकता है।

• होम लोन में मकान की नीलामी

• ऑटो लोन में गाड़ी की जब्ती और बिक्री

• पर्सनल लोन में दूसरी संपत्तियों की नीलामी

🛡 लोन इंश्योरेंस हो तो क्या होगा?

अगर लोन लेने वाले ने लोन प्रोटेक्शन इंश्योरेंस ले रखा था, तो उसकी मृत्यु के बाद बीमा कंपनी पूरा कर्ज़ चुका देती है। इससे परिवार पर किसी तरह का आर्थिक बोझ नहीं पड़ता।

❓ क्या बैंक वारिसों को जबरन कर्ज़ चुकाने पर मजबूर कर सकता है?

अगर कानूनी उत्तराधिकारी ने मृतक की संपत्ति को उत्तराधिकार में नहीं लिया, तो वे लोन चुकाने के लिए बाध्य नहीं हैं। लेकिन अगर संपत्ति को अधिकारपूर्वक स्वीकार किया है, तो फिर बैंक उनसे रकम वसूल सकता है।